Ekta Singh

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लेखनी कहानी -27-Oct-2022

***लघु कथा ***
           ***बेजुबान पक्षी ***

2019 की यह बात है। करोना का कहर चारों तरफ फैला हुआ था अप्रैल का महीना था सब जगह लॉकडाउन का माहौल था। सभी लोग अपने घर में कैद थे। क्योंकि यह बीमारी ऐसी थी ।जोकि बहुत जल्दी-जल्दी फैल रही थी। इसी कारण सभी लोग अपने अपने घर में थे।
बड़े शहरों में वायु प्रदूषण इतना ज्यादा है जिसका असर प्रकृति पर बहुत ज्यादा हो रहा है। छोटे शहरों में ,गांव में पशु पक्षियों का जीवन स्तर कुछ बेहतर है। 
लेकिन बड़े महानगरों में तो कितने पशु पक्षी बेमौत मारे जाते हैं।
कितने लोग हैं ?जो इन पशु पक्षियों का ध्यान रखते हैं? इन बेजुबान पक्षियों और जानवरों को लोग खुलेआम मार देते हैं।
कितने कानून हमारे देश में बनाए जाते हैं लेकिन इनका पालन करने वाले बहुत कम लोग होते हैं।

 इसी दौरान एक बहुत अच्छी बात हुई थी। जो कि पिछले 10 सालों में मैंने कभी महसूस नहीं की।
प्रकृति पर अपना ही एक रूप आया हुआ था। आसमान का रंग तो देखने वाला होता था। कितना खूबसूरत आसमान देखने को हमें कहां मिलता था?
जो कि अब मिल रहा था। नीला नीला अंबर चारों तरफ से पक्षियों की मीठी मीठी आवाज आ रही थी। सच में पिछले साल में ये दो-तीन महीने बहुत मनमोहक रहे थे।
 ऐसे ऐसे पक्षियों की आवाजें आती थी जो कि हमने पहले कभी नहीं सुनी।
 पक्षी वापस पेड़ों पर चहचहाना लगे थे। ऐसे लग रहा था मानो जैसे के आपस में बिना खौफ के बातें कर रहे हो। खुले आकाश में खुलकर पंछी अपनी जिंदगी जी रहे थे। यह बात सच है दोस्तों जैसे जैसे हमने तरक्की की है। वैसे वैसे हमनें अपने जीवन को खतरे में डाल दिया है। 
आज हमने अगर उन छोटी- छोटी बातों का ध्यान नहीं रखा तो  हमारा अंत बहुत जल्दी हो जाएगा। क्योंकि प्रकृति ही खतरे में है, हमारे पशु पक्षी दिन-रात मर रहे हैं ,जब यही नहीं होंगे तो हम सब जिंदा कैसे रह पाएंगे?
हमें इन पशु पक्षियों का ध्यान रखना होगा।
इनसे प्यार करना होगा।


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7 Comments

Gunjan Kamal

15-Nov-2022 10:20 AM

Nice

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Khushbu

13-Nov-2022 06:05 PM

Nice 👍🏼

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Mithi . S

05-Nov-2022 03:29 PM

Bahut khub 👌

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